खरगोश और कछुए की कहानी | 05 | jainasvi sharma || Shayaribegum

 

Poem आंसूओं की चादर.....

Poem  अपनी असली शक्ल देखकर चिढ़ जाते हैं..

Poem  हर शख्स की नियत बदल रही है... 

Poem  उन पर पागल होने के इल्जाम होते हैं..

Poem  काश मेरे पंखों को नहीं  जकड़ती ये जात-ए- लड़की की हथकड़ियां....

चल एक दौड़ लगाते हैंं..



जरा सोचिए अगर कोई ऐसी जगह या फिर ऐसा मुल्क हो जहां सिर्फ शायरियों या गजलों के इस्तेमाल से बातें की जाती हो ।
 तो जी आपका अंदाजा सही है मैं आज आपको ऐसी ही  एक कहानी सुनाने जा रही हूं जो आपने पहले भी कई बार सुनी है लेकिन आज उसका कुछ अलग ही अंदाज और लुत्फ होगा।

 एक बार की बात है एक गांव था शायरानापुर और वहां एक जंगल गालीबाबाद। एक बार एक खरगोश को  दिल्लगी सूझी और उसने कछुए से कहा-

खरगोश: आ  हो जाए एक दौड़ आज हवा  की ढील से ,
देखें किसमें कितनी ताकत  गौर और कंदील से।

कछुआ: जानता हूं दी है अल्लाह ने तुम्हें कुछ खूबियां ,
गर्ज में जंग  ए दौड़ की  मत लगा चिंगारियां।

खरगोश: हे मेरे पास मां की  दुआओं का घना साया ,
 यही एहसास मुझे हर डर से दूर रखता है।
 कहीं ऐसा ना हो वैसा ना हो जो सोचते हैं ,
उनका यह खौफ उन्हें हर मंजर से दूर रखता है।

कछुआ:( गुस्से में) हां लड़ूंगा मैं तेरे साथ आज इस जंग ए दौड़ में, कभी तो तेरा गुरूर टूटे इसी बात की होड़ में।

बस फिर क्या ?मुकाबला शुरू हो गया और खरगोश अपनी तेज रफ्तार की वजह से आगे निकल गया 
और सोचने लगा कि-
खरगोश: आ रहा होगा वह कछुआ  वही मंदी चाल में,
  न जाने यहां पहुंचने तक होगा वह किस हाल में।
 फिर उसने सोचा-
 करूं मैं वक्त जाया उस मामूली कछुए के पीछे,
 क्यों ना देखूं रंगीन सपने सोकर इस पेड़ के नीचे।


जब तक कछुआ वहां पहुंचा तब भी खरगोश सो रहा था।
  उसे देख कर कछुए ने कहा -
कछुआ: नहीं मिला है कुछ किसी को मारकर यू मक्कारी,
 आज सो ले जी भर के तू कल हंसेगी तुझ पर दुनिया सारी ।

और वहां अपनी मंजिल की ओर बढ़ चला ।
जब खरगोश उठा और मंजर के लिए निकला वहां कछुआ पहले से ही मौजूद था। उसे देखकर खरगोश बोला-

खरगोश: मुझे इस मुकाम पर देखकर हो गई है मेरी आंखें नम,करता हूं अब तुझसे यह वादा नहीं समझूंगा किसी 
को अब कम।
 दोनों  गले मिले और दोस्त बन गए।
सबक: किसी को खुद से कम नहीं समझना चाहिए।
                   
                                     #जैनस्वी शर्मा


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